काम के सिलसिले में, आनंद के पापा का, अक्सर दूसरे शहरों में आना जाना लगा रहता था। एक बार वो कहीं से लौट रहे थे। तभी अचानक एक ब्रिज पर उनकी गाड़ी रुक गई। नीचे उतरकर देखा, तो गाड़ी का एक टायर, पंक्चर हो गया था। वो स्टेपनी निकाल के, टायर बदलने लगे। आपको पता होगा कि टायर के 4 स्क्रू होते हैं। लेकिन जैसे ही उन्होंने, उस टायर के चारों स्क्रू खोले, वो ब्रिज से नीचे पानी में गिर गए। आनंद के पापा भगवान को कोसने लगे, और कहने लगे- एक मुसीबत कम थी, जो दूसरी दे दी।
इतने में वहां से गांव का एक आदमी गुजर रहा था। उसने पूछा- क्या हुआ। आनंद के पापा ने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा- तुम क्या मदद करोगे मेरी, जाओ यहां से। लेकिन वो आदमी दोबारा बोला- यहां आसपास कोई मैकेनिक भी नहीं है। हो सकता है, मैं आपकी मदद कर पाऊं। आनंद के पापा बोले- गाड़ी का टायर पंक्चर हो गया था, मैं टायर बदल ही रहा था, कि चारों स्क्रू पानी में गिर गए। अब मैं, क्या करूंगा। तब उस आदमी ने कहा- ये कोई बड़ी मुश्किल नहीं है। बाकी तीनों टायर का एक-एक स्क्रू निकाल कर इस टायर में लगा दो। इस कहानी की सीख ये है, कि अपनी परेशानी पर नहीं, बल्कि उसके समाधान पर फोकस करें।